दिन चढ़कर ढल जाता है,
फिर चारों ओर अँधेरा लगता है,
दुनिया मुस्काती इठलाती है,
पर कुछ सूना सा लगता है,
हम बैठे हुए हैं किनारे पे,
पर पीछे सहारा लगता है,
ख़ामोशी भी कुछ कहती है,
सुनकर प्यारा लगता है,
आप हो भले हमारे पास नहीं,
पर एक साया सा लगता है,
कहानियों का दौर चलता है,
ज़माने का नजरिया बदलता है,
उन पुरानी यादों में कुछ ठहरा सा लगता है,
याद है लोगों को वो गुजरे पल,
उन्हें जीना अच्छा लगता है,
आप हो भले हमारे पास नहीं,
पर एक साया सा लगता है।।