आज इस वेबसईट पर एक नजर डालने का मौका मिला तथा इसी के साथ मन हर्ष से प्रफुल्लित हो उठा । जैसे एक अन्वेषी राही नदी का उद्गम स्रोत खोज निकालता है और जनसामान्य के सम्मुख प्रस्तुत करता है ,उसी प्रकार एक सुपुत्र ने भी अपने पिता के प्रति कृतज्ञता रखते हुए उनके कृत कर्मो को विश्व के सामने प्रस्तुत कर ही दिया मैंने उनको तो कभी नहीं देखा परन्तु यह अवश्य कह सकता हूं कि वे जहां कहीं भी है सुखी है क्यूंकि मुझे शिवम में एक छोटे तिवारी जी की छवि दिखती है । वह अपने पिता की तरह दूसरों की निस्वार्थ भाव से सहायता करता है , हमेशा प्रसन्न रहता है तथा सदा अपने परिवेश को भी प्रसन्न रखने की कोशिश करता है , अच्छे व सच्चे मित्र बनाता है, कभी भी दूसरों को कोई कमी महसूस नहीं कारवता, सदा दूसरों के मुसीबत के समय काम आता है , तथा अपनी मुसीबत के समय पर्वत की तरह अविचल भाव से अडिग रहता है। एक बाप को खुश होने के लिए और क्या चाहिए । अपितु मै तो यहां तक कहूंगा कि शिवम को देख कर ऐसा लगता है कि जैसे कि D. K. Tiwari जी हमारे बीच से कभी गए है नहीं