एक ऐसे इंसान जिनसे मैं कभी नहीं मिला हूँ, लेकिन उनके बारे में सुना बहुत कुछ हूँ, और अभी उनके दिखाए रास्ते पर या यूँ कहें कि उनके बनायें रास्ते पर चल रहा हूँ, इस रास्ते पर चल कर ना जाने कितने लोगों ने क्या क्या मुकाम हासिल किया है। मैं उनकी बात कर रहा हूँ जिन्होंने भारत में कोरियाई भाषा की नींव रखी, मैं बात कर रहा हूँ डॉ. डी. के. तिवारी सर की। यहाँ उनकी कुछ यादगार लम्हों की तस्वीरें हैं कुछ यादगार बातें हैं। ये बातें मैं अभी भी अपने शिक्षकों से सुनता हूँ। और कोटि-कोटि नमन करता हूँ उनको की उन्होंने एक ऐसा रास्ता बनाया जिसपे आज कई लोग चल रहे हैं।
धन्यवाद सर, हमें ऐसा उपहार देने के लिए।
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